Hamida Banu Begum: Ek Shaanadar Auraat ki Kahani
देश में महिला के साथ पुरुष पहलवान भी विरोध पर दिखे। विरोध के बीच जीस तरह से पहलवान हंगामा कर रहे हैं। देश में एक अलग ही तस्वीर दिख रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं देश की उस ताकतवर महिला पहलवान के बारे में जो हमेशा चर्चाओं में रही? कभी अपनी डाइट को लेकर तो कभी ना हारने को लेकर।
50 का दशक जब महिलाओं की कुश्ती लड़ने के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था, किसी को पता ही नहीं था कि एक वक्त ऐसा आएगा जब कोई महिला कुश्ती लड़ने के बारे में सोचेगी। उस वक्त एक नाम चर्चा में आया वो नाम था हमीदा बानो का। Hamida Banu एक ऐसी महिला थी जो मर्द पहलवानों को लगातार चित कर रही थी। अखाड़े में उनके आगे बड़े बड़े पहलवानों के पैर उखड़ जाते थे।
Hamida Banu
जो लोग महिलाओं को कमजोर समझते थे उनके मुह पर उस वक्त ताला लग गया जब हमीदा बानो का नाम सामने आया। वो इतनी चर्चित हो गई कि उनका वजन, कद, खानपान सब कुछ खबरों में आ गया। पहलवान हमीदा बानो मिर्ज़ापुर में पैदा हुई सलाम नाम के एक पहलवान की उस्तादी में कुश्ती की ट्रेनिंग के लिए जब वो अलीगढ़ गई तो उसके बाद निकल कर और निखरकर सामने आई।
उन्होंने अपने पेशेवर पहलवानी करियर की शुरुआत की। देश में कोई महिला पहलवान नहीं थी जिससे वो दंगल कर सके। ऐसे में उन्होंने मर्द पहलवानों को चुनौती देना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा जो मुझे दंगल में हरा देगा वो मुझसे शादी कर सकता है, मगर ऐसा कोई पहलवान नहीं कर पाया।
उस वक्त एक बाबा पहलवान को उन्होंने महज़ 1 मिनट और 34 सेकंड में चित कर दिया था।
हारने के बाद बाबा पहलवान ने कुश्ती छोड़ दी। इसी तरह की चुनौती में वो फरवरी 1954 से दो मर्द पहलवान चैंपियनों को पहले ही हरा चुकी थी जिनमें से एक पटियाला से और दूसरा कोलकाता से था। इस दौरान उन्होंने दावा किया कि वो अब तक अपने सभी 320 दंगल जीत चुकी हैं। इसी वजह से लोगों ने उन्हें अलीगढ़ की अमेज़ोन कहना शुरू कर दिया। Hamida Banu बानो रिपोर्ट्स कहती हैं, हमीदा बानो की हैट महज पांच फिट तीन इंच थी।
मगर उनका वजन 107 किलो था। डाइट ऐसी कि बड़े बड़े मर्द पहलवान भी शर्मा जाए। कहते हैं वो रोजाना साढ़े पांच किलो दूध, 2.75 किलो सूप, करीब 2.25 लीटर फलों का जुइस, एक मुर्गा लगभग एक किलो मटन, 450 ग्राम मक्खन, छह अंडे, लगभग एक किलो बादाम, दो बड़ी रोगियां। बिरियानी खाती थी, उस समय ये भी कहा गया की वो हर रोज़ 9 घंटे सोती है। 6 घंटे एक्सर्साइज़ करती उस वक्त एक महिला पहलवान से लड़का या फिर मर्द अपनी बेइज्जती समझते थे लड़ना कई पहलवानों ने उनसे लड़ने को मना कर दिया। छोटे गामा नाम से मशहूर एक पहलवान ने भी आखिरी वक्त में उनसे लड़ने से इनकार कर दिया था।
राष्ट्र के कोल्हापुर में एक मुकाबले में जब उन्होंने शोभा सिंह पंजाबी नाम के एक मर्द को पराजित किया तो कुश्ती के शौकीनों ने उन्हें बुरा भला कहना शुरू कर दिया। उन पर पत्थर फेंके गए। हालात इतने खराब हो गए कि पुलिस बुलानी पड़ी। उस समय लोगों की सोच थी कि जानबूझकर एक डम्मी पहलवान उतारा जाता है ताकि मुकाबला मनोरंजक लगे और ये लगे कि हमीदा जीत रही है।
हालांकि एक अभी सच साबित नहीं हुआ। भारतीय शेरनी हमिदा बानो ने 1954 में मुंबई में रूस की मादा रीच कहलाने वाली वीरा चस्तेलीन को 1 मिनट से कम समय में मात दे दी। तब उन्होंने कहा था कि वो यूरोपीय पहलवानों से कुश्ती लड़ने के लिए।